|
| | | | | 취묵당은 현종(顯宗) 3년(1662)에 백곡(栢谷) 김득신(金得臣)이 세운 서재인데 지금 괴산군 괴산 읍 제월리에 있다. |
|
|
| | 1. 취묵당 8영 (醉黙堂 八詠) |
| | | | | 김득신(金得臣) 〔1603-1684〕 |
|
| | | | | 옹암의 꽃보기 甕岩看花 |
| | | | | 옹암의 꽃이 비단같이 고와서 甕岩花似錦 |
| | | | | 작은 배 대어놓고 즐기려네 欲賞泊扁舟 |
| | | | | 태평시대 사람이라 흥 넘치니 剩得堯天興 |
| | | | | 위개처럼 애오라지 노니려네 聊爲衛玠遊 |
| | | | | 늦은 꽃 향기를 즐겨 찾으니 縱耽聞晩香曷 |
| | | | | 맑은 냇물에 떠갈까 두렵네 且恐泛淸流 |
| | | | | 구경하고 돌아가기 재촉하니 看盡催歸去 |
| | | | | 저녁 빛 아래 섬이 아득하네 斜陽下遠洲 |
|
| | | | | 불악의 눈 즐기기 佛岳賞雪 |
| | | | | 성불산은 드높이 솟았는데 嵯峨成佛岳 |
| | | | | 많은 눈이 하얗게 쌓여있네 大雪白皚皚 |
| | | | | 장대에 버들솜이 흩어지고 柳絮章坮散 |
| | | | | 대유령의 매화가 되었구나 梅花庾嶺開 |
| | | | | 찬 기운 시인의 소매에 들고 冷侵詩客袂 |
| | | | | 빛은 술꾼의 잔 속으로 드네 光入酒人盃 |
| | | | | 구옹처럼 즐기려고 하였으나 賞翫歐翁並 |
| | | | | 나는 지금 흥이 오르지 않네 吾今興未裁 |
|
| | | | | 강구에 장사 배 江口商船 |
| | | | | 우리 집은 강 위쪽에 있는데 吾家江上在 |
| | | | | 문 밖에 장사배가 매여 있네 門外繫商船 |
| | | | | 닻 내린 모래밭 달 비치고 下碇平沙月 |
| | | | | 돛 접은 산골에 연기 나네 落帆古峽烟 |
| | | | | 한강 입구에서 바람을 타니 乘風漢水口 |
| | | | | 탄금대 옆에서 노 두드리네 扣枻琴臺邊 |
| | | | | 밝은 날에 고기 소금 팔면 明日魚鹽販 |
| | | | | 시골 사람 많이 모여들겠네 村氓集百千 |
|
| | | | | 나루 터에 고기잡이 불 渡頭漁火 |
| | | | | 나루에서 불 켜고 고기 잡으니 古渡漁人火 |
| | | | | 저녁부터 밝아지기 시작하네 明從暮夜初 |
| | | | | 여울에서 자던 백로가 놀라고 灘頭驚宿鷺 |
| | | | | 강바닥에 숨었던 고기도 뛰네 波底竄跳魚 |
| | | | | 반딧불 모랫가에 나느듯 하고 螢訝流沙際 |
| | | | | 별이 옥처럼 떨어지는 것 같네 星疑隕玉墟 |
| | | | | 내가 잡은 고기를 가져가려니 吾將歸得雋 |
| | | | | 그물에 가득 차 성글지 않네 結網不須疎 |
|
| | | | | 야교에 지나는 사람 野橋行人 |
| | | | | 골짜기 물은 옛부터 흐르고 峽水流今古 |
| | | | | 긴 다리는 떠 있는 것 같네 長橋逈若浮 |
| | | | | 행인은 언제나 멀어져 가고 行人常冉冉 |
| | | | | 가는 길은 아득함이 심하네 去路劇悠悠 |
| | | | | 새벽에는 들닭 울면 떠나고 晨聽野鷄發 |
| | | | | 저물면 주막 찾아 잠을 자네 暮尋山店投 |
| | | | | 생업을 꾸리기 바쁜 몸이니 只綠營産業 |
| | | | | 어느 때나 쉴런지 모르겠네 能得幾時休 |
|
| | | | | 갯 모래에 놀란 기러기 浦沙驚雁 |
| | | | | 문 앞에 평평한 모래 넓은데 門前平沙濶 |
| | | | | 가을되니 기러기떼 빗기었네 秋來雁序橫 |
| | | | | 햇볕 따라 찬 눈 피해 가며 隨陽霜雪避 |
| | | | | 바다 건너는 날개짓도 가볍네 渡海羽毛輕 |
| | | | | 달 아래 천 줄기 가득하고 月下千行密 |
| | | | | 바람 앞에서 무리를 이루네 風前一陣成 |
| | | | | 사냥꾼이 죽일까 문득 놀라서 虞人忽驚殺 |
| | | | | 구름 가에서 흩어지며 운다네 雲際失群鳴 |
|
| | | | | 우협의 아침 산기운 牛峽朝嵐 |
| | | | | 난간에 의지하여 두 눈을 뜨니 憑欄開雙目 |
| | | | | 산기운이 골짜기를 둘러 싸네 浮嵐峽口圍 |
| | | | | 처음에는 푸른 벼랑에서 일더니 初從蒼壁起 |
| | | | | 다시금 푸른 봉우리로 날아가네 更向碧峰飛 |
| | | | | 잔잔하게 큰 나무에 얽히고 細細籠喬木 |
| | | | | 가벼이 새벽 빛을 가리네 輕輕掩啓暉 |
| | | | | 짙고 맑은 빗깔은 아름다우나 可憐濃淡色 |
| | | | | 산에 사는 스님의 옷을 적시네 沾濕嶽僧衣 |
|
| | | | | 용추의 저녁 비 龍湫暮雨 |
| | | | | 용추는 백길이나 깊고 깊은데 百丈靈湫濬 |
| | | | | 언제 여기에 늙은 용이 숨었나 何年蟄老龍 |
| | | | | 맑은 밤에 괴상한 기운 나오고 淸宵怪氣出 |
| | | | | 밝은 낮에 상서로운 구름 짙네 白日祥雲濃 |
| | | | | 하늘 밖에서 사나운 천둥 치니 天外獰雷殷 |
| | | | | 강 가운데 저녁비 짙게 나리네 江中暮雨重 |
| | | | | 발 걷고 바라보니 개이지 않아 鉤簾看不霽 |
| | | | | 다시금 산 모습이 보이지 않네 更覺失山容 |
|
| | | | | 【백곡집(栢谷集)】 |
|
|
| | |
| | | | | |
|
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
|
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
|
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
|
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
|
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
|
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
|
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
|
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
| | | | | |
|
| | | | | |
|
|
| | 3. 취묵당을 우연이 읊다(醉黙堂偶詠) |
| | | | | 김득신(金得臣) 〔1603-1684〕 |
|
| | | | | 물 빛은 비 그친 뒤에 곱고 水光晴後艶 |
| | | | | 산 빛은 비 올 때 기이하네 山色雨中奇 |
| | | | | 멋진 시 이루기 쉽지 않지만 隲核誠非易 |
| | | | | 어찌 시 짓기를 그만 두리오 吾寧廢賦詩 |
|
| | | | | 【백곡집(栢谷集)】 |
|
| | 4. 취묵당에 돌아와서(還醉黙堂) |
| | | | | 김득신(金得臣) 〔1603-1684〕 |
|
| | | | | 들국화 향기가 그윽한 계절에 時序今當野菊香 |
| | | | | 고향으로 돌아오니 흥이 나네 歸來鄕國興偏長 |
| | | | | 물빛 산색은 천연의 자태건만 湖光山色天然態 |
| | | | | 어찌 서시처럼 얼굴을 꾸몄나 何似西施滿面粧 |
|
| | | | | 【백곡집(栢谷集)】 |
|
|
| | 5. 취묵당에서 급히 쓰다 (走筆醉黙堂) |
| | | | | 김득신(金得臣) 〔1603-1684〕 |
|
| | | | | 봄이 지나가려니 달이 갈고리 같고 春欲闌珊月似鉤 |
| | | | | 오늘 새벽 홀로 높은 루에 올랐네 今辰獨上㝡高樓 |
| | | | | 어이하면 진성에 닿을 수 있으리오 此身安得秦城去 |
| | | | | 북쪽으로 흐르는 저 강이 부럽네 羨彼長江向北流 |
|
| | | | | 【백곡집(栢谷集)】 |